ज़िंदगी हर कदम एक नई जंग है ---सच, दामिनी ने इस जंग को खूब बहादुरी से लड़ा है आदमी की बाहरी जंग तो सबको दिखाई देती है परन्तु आंतरिक जंग से वह ख़ुद ही जूझता है ! कला जीवन को जीना सिखाती है, नया रूप देती है, साँसें ज़िंदा रखने के लिए अँधेरी कोठरी से निकाल साँस लेने की जगह बनाती है मज़ाक है क्या ज़िंदगी को यूँ ही बिखेर देना आदमी की बाहरी जंग से भीतरी जंग अधिक हानिकारक होती है मीशा भी अपनी अंदरूनी जंग से लड़ती रही,