7. बढ़ रही थी उम्र, छोटा हो रहा था मैंैैंैंैैमैं मुंबई आ गया।पहले भी आता रहा था, मगर अब इस तरह आया कि मुंबई को अपना शहर कह सकूं।मेरा ऑफिस कालबादेवी इलाक़े के पास भीड़भरे प्रिंसेस स्ट्रीट पर था। वी टी स्टेशन पर उतर कर टाइम्स ऑफ इंडिया और जे जे इंस्टीट्यूट ऑफ आर्ट्स के सामने से डी एन रोड पर होते हुए जाना होता था।हमने रहने के लिए किराए का घर नई बंबई के वाशी इलाक़े में लिया, क्योंकि मेरी पत्नी का ऑफिस यहां से काफ़ी नज़दीक होता था।घर से निकल कर भीड़ भरे मछली बाज़ार के बीच से