अनुराधा - 5

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कलकत्ता से कुछ साग-सब्जी, फल और मिठाई आदि आई थीं। विजय ने नौकर से रसोईघर के सामने टोकरी उतरवाकर कहा, ‘अंदर होंगी जरूर?’ अंदर से मीठी आवाज में उत्तर आया, ‘हूं।’ विजय ने कहा, ‘आपको पुकारना भी कठिन है। हमारे समाज में होती तो मिस चटर्जी या मिस अनुराधा कहकर आसानी से पुकारा जा सकता था, लेकिन यहां तो यह बात विल्कुल नहीं चल सकती। आपके लड़को में से कोई होता तो उनमें से किसी को ‘अपनी मौसी को बुला दो’ कहकर अपना काम निकाल लिया जा सकता था, लेकिन इस समय वह भी फरार हैं। क्या कहकर बुलाऊं, बताइए?’