पिछले भाग से-यह तो बहुत बुरा हुआ। हमने अपने पहले सम्पर्क के प्रयास में ही उन्हें डरा दिया। निश्चित ही, इससे हमारे बारे में उनकी धारणा खराब ही बनेगी...सातवाँ भाग-जलपरियों के बीचउधर हमसे दूर चट्टानो पर धूप सेकती मत्सकन्यायें, जिन्हें हम जलपरियाँ भी कहते हैं, हमे देखते ही कुछ अजीब सी भाषा मे चीखने चिल्लाने और धड़ाधड़ पानी मे कूदने लगीं। थोड़ी ही देर मे उस पूरे जलक्षेत्र मे भीषण हलचल मच गई। उधर अचानक ही चारो तरफ़ से नर मत्स्यमानव हमारे चारो ओर पानी मे प्रगट हो गये। उनके कंधे चौड़े और भुजायें बलिष्ठ थी। उनके सिर पर लम्बे