उजड़ा घोंसलाघर में किसी के बीमार होने की सूचना इतनी खतरनाक नहीं होती कि हौसला खो दिया जाए। पर ये बात चिंताजनक थी कि उदयपुर से रोज़ सुबह बस में गांव आने वाले बैंक मैनेजर उस दिन मोटर साइकिल से आएं ताकि तुरंत मुझे अपने साथ बाइक पर बैठा कर वापस तत्काल उदयपुर रेलवे स्टेशन पर पहुंचा सकें। इतना ही नहीं, बल्कि आने से पहले ही अपने किसी साथी को स्टेशन भेज कर मेरे टिकिट की व्यवस्था भी करवाते हुए आएं।मेरा माथा ठनका। मैंने सोचा, ज़रूर इनके पास पूरी सूचना है कि मेरे घर में क्या हुआ है और मुझे इस