तर्क वितर्कएक दिन प्रात काल दफ्तर के लिए घर से सोम नाथ जो निकले तो नुक्कड़ पर चायवाले के यहाँ खड़े पंडित जी ने सोम बाबू को अपनी ओर आते देख घबरा कर बचते हुए बोला राम राम सोम जी सोम -राम राम पंडित जी क्या बात हैं लगता हैं धन्दा जोरो पर हैं जभी तो गाल पर लाली दिखाई देती हैं पंडित जी (खिसिया कर बोले ) महोदय हमसे ऐसा कौन अपराध हो गया जो आप ऐसे तीखे और विषधारी शब्दों का हम पर प्रहार करते हैं सोम मंदमुस्कान सँग बोले - करदी ना अपने फिर वही अज्ञानीयों की जैसी बातआप जानते