गुमशुदा की तलाश (32)कमरे में छत से लटके बल्ब की दूधिया रौशनी में बने वृत्त को सरवर खान बिना किसी वजह के बस यूं ही देख रहे थे। यहाँ करने को कुछ था नहीं। दिन और रात का भी पता नहीं चलता था। सरवर खान एक अंदाज़ के हिसाब से नहा कर नए कपड़े पहन लेते थे।एक आदमी दिन में तीन बार खाना लेकर आता था। वह उनके उतारे हुए कपड़े लांड्री के लिए ले जाता था। जब दोबारा