टांगें

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कनिका ने कांपते हुए अपने घुटने ढके और वेटर का बेसब्री से इंतजार करने लगी. इस वक़्त वह साउथ दिल्ली के एक पॉश रेस्तरां में अपने कुछ मित्रों के साथ शाम के खाने का आनंद ले रही थी. अक्टूबर का पहला हफ्ता और दिल्ली की जाती हुयी गर्मी, उस पर कनिका की खुली टांगें. कनिका तीन महीने पहले ही उच्च शिक्षा के लिए दिल्ली में रहने आयी है. राजस्थान के एक छोटे से, मगर सांकृतिक तौर पर बेहद समृद्ध शहर बीकानेर में पैदा हुयी कनिका ने अब तक अपना लगभग सारा जीवन राजस्थान में ही जिया है. उसका भी एक बड़ा हिस्सा बीकानेर और पास के एक गाँव भीनासर में, जहाँ उसकी ननिहाल है.