साहित्य में नए-नए कदम रखे अरुण कौशल ने छपने-छपाने की दुनिया में प्रवेश कर लिया था। अपने से वरिष्ठ साथियों की रचनाओं को पढ़कर और उसमें हाशिए और सर्वहारा वर्ग के प्रति ध्वनित होती उनकी समानुभूति की तीव्रता के आधार पर वह उन नामी-गिरामी साहित्यकारों के प्रति श्रद्धा-नत हो जाता। ये बड़े लेखक उसके आदर्श थे। अरुण कौशल चूँकि अपने-आप को हिंदी कविता की दुनिया में स्थापित करना चाहता है, अतः वह पहले से इस क्षेत्र में बाजी मारे हुए लोगों के कद को एक हसरत भरी निगाह से देखता है। खासतौर से फेसबुक जैसे त्वरित माध्यमों पर आती सूचनाएँ और चित्र उसे बड़े आकर्षित करते हैं।