तुम्हारा....

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"कितनी बार कहा है कि कमरे की हालत ठीक कर लिया कर लेकिन फिर भी इस लड़के ने नहीं सुननी और ये पुरानी किताबें…. ना जाने दुनिया भर की कितनी किताबें इकठ्ठा कर रखी है, रद्दी किताबों को बेच क्यों नहीं देता, पूरे कमरे में भरी पड़ी हैं" | यह कहकर मां चाय का कप मेज़ पर पटक कर चली गई | ऐसा पहली बार नहीं था जब माँ ने ये सब कहा हो, ये सब तो रोज की बातें थी और मैं हमेशा की तरह हम्म… कहकर टाल जाता पर अब अलमारी में रखी ये पुरानी किताबें मेरी आँखों में