आखर चौरासी - 17

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अवतार सिंह जिस रफ्तार से कार ड्राइव कर रहे थे, उसमें वे सब सुबह छः बजे तक निश्चय ही धनबाद पहुँच जाते। मगर उनकी कार अभी ‘नया मोड़’ ही पहुँची थी कि पिछला पहिया पंक्चर हो गया। वहाँ से उनका घर तक का मात्र घंटे भर का सफर और बाकी था। अवतार सिंह ने नियंत्रण बनाये रखा और सावधानी से कार सड़क के बांयी ओर रोक दी। बगल में बैठा करमू बीच-बीच में झपकी ले लेता था, कार रुकते ही सजग हो कर उठ बैठा। अवतार सिंह ने अपनी तरफ का दरवाजा खोल कर उतरते हुए बेटे को संबोधित किया, ‘‘लगता है पिछला पहिया पंक्चर हो गया। करमू उठ जल्दी से जैक निकालकर पहिया बदलो।’’