जलती दुकानों से उठता टुकड़ा-टुकड़ा धुंआ इकट्ठा हो कर पूरे आकाश को काला कर रहा था। उस कालिमा को देख हिरनी सी घबराई सतनाम की पत्नी ने उसे झिंझोड़ कर उठाया। सतनाम ने सूख गये बालों को लपेट कर जूड़ा बांधा और सर पर जल्दी-जल्दी पटका लपेटने लगा। छत के दूसरे कोने पर खड़े हरनाम सिंह और उनकी पत्नी भी बाज़ार की तरफ देख रहे थे। उन्हीं के पास सतनाम की बहन मनजीत कौर अपनी गोद में पांच वर्षीय बेटी डिम्पल को उठाये खड़ी थी। सतनाम के जीजाजी तो उसकी शादी के तुरंत बाद ही वापस लौट गये थे। मगर मनजीत कौर को हरनाम सिंह ने कुछ और दिनों के लिए रोक लिया था। सतनाम भी जा कर उन सब की बगल में खड़ा हो गया।