हॉस्टल में लड़कों के पढ़ने का समय अलग-अलग था। कुछ लड़के देर रात तक जगते, तो कुछ भोर में उठ कर पढ़ते। गुरनाम देर रात तक जग कर पढ़ाई करने वालों में था, इसलिए अगली सुबह वह देर तक सोता रहता। परीक्षाएं पास होने के कारण, जब से उन्हें अलग-अलग एक बिस्तर वाले कमरे मिले थे, सवेरे उनके एक साथ नाश्ता करने जाने का क्रम कुछ टूट-सा गया था। हॉस्टल की मेस में केवल दो समय का ही खाना दिया जाता था। इसलिए नाश्ता करने उन्हें बाहर हुरहुरु चौक तक जाना पड़ता।