नए सत्र का पहला दिन था।वंशिका आज देर से पहुँच कर अपनी शुरुआत बिगड़ना नहीं चाहती थी तो वह हड़बड़ाते हुए स्कूल पहुँची और घड़ी पर नजर डालते हुए राहत की सांस ली कि आज देर नही हुई वरना प्राचार्या जी की डांट पड़ती कि तुम हमेशा देर से आती हो,तुम नहीं सुधरोगी।प्रार्थना के बाद सभी अपनी अपनी कक्षाओं में पहुँच कर पढ़ाने लगे। 12 बजे के लगभग वंशिका की कक्षाएं समाफ्त हुई पर अभी छुट्टी होने में समय है तो वो अपना मोबाइल उठा कर उसमें आये हुए msg देखने लगी।एक अनजान नंबर से आये हुए संदेश पर उसकी