कुछ साल पहले हम लोग समूह में अमरनाथ जी की यात्रा के लिए जम्मू जा रहे थे हम सबका रिजर्वेशन था सो अपनी अपनी बर्थ में हम सब इत्मीनान से बैठ कर गपियाते चले जा रहे थे । दिन का सफर बैठे बैठे बीत गया अब रात हो गयी थी सबको सोने की जल्दी मच गई । एक बर्थ पर एक परिवार बैठा था जो हमारे ग्रुप का नही था । उसे अपने बर्थ पर बैठा देख कर उसे सब गरियाने लगे। कोई कहता कि ये लोग चोर उच्चके हैं जो चुपचाप इस बर्थ में आ गए हैं