खिड़की की आँख

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खिड़की के बाहर का चौकोर आसमान का टुकड़ा खिड़की जितना ही बड़ा है. लेकिन इसमें से भी पूरा आसमान नहीं दिख रहा. दरअसल इस चौकोर खालीपन में जो मुख्य भरावट है वह है, हरे-भरे लहकते मदमाते अनार के पेड़ की शाखाएं. आकाश तो बस इन शाखाओं के हरे पत्तों और दहकते केसरिया रंग के फूलों के बीच कभी कभी अपनी एक झलक सी दिखा जाता है. हल्की मोटी शाखाओं पर टंकी पत्तियां देख कर दीप्ति को महसूस होने लगता है कि बाहर हवा चल रही होगी. लेकिन इस बात से उसे कोई आश्चर्य नहीं होता. यहाँ इस शहर में जब हवा न चले तो आश्चर्य होता है.