साहित्य और मैं !..

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दोस्तों !..आज मैं जिंदगी के उस दोहराहे पर खड़ा हूँ जहां मेरे लिए यह तय कर पाना संभव नही कि मैं किस रास्ते का चुनाव करू?एक ओर जहां साहित्य है तो दूसरी ओर मेरी जिंदगी ! ...भला कोई तो बताये इन विकल्पों में किसका चुनाव करूँ ?.. यूँ तो दोस्तों!..आपके मिश्र को साहित्य का कोई विशेष ज्ञान नही है ...पर क्या है ना !बचपन से ही साहित्य और साहित्यकारों की दुनियां मुझे बहुत प्यारी लगती है...सच ये सहित्य से ही प्रेम और लगाव का परिणाम है ..कि चंद शब्दों को माध्यम बनाकर अपनी ज्वलंत जिंदगी से आपको रूबरू कराने की एक कोशिश