घरोंदा और अन्य कहानिया - बुढ़िया

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! बुढ़िया ! सड़क के किनारे कचरे के ढेर में एक बूढ़ी औरत कचरा चुनने का प्रयास कर रही थी ! मैले कपडे, चिपके और कचरे से सने सफ़ेद बाल और मैले बदबूदार शरीर की वो बुढ़िया ६० से उप्पर की थी मगर फिर भी फुर्ती से उस कूड़े के ढेर से उसके काम की चीज़े उस कूड़े से उठा उसके कंधे पर रखे बोर में भर रही थी ! बीच बेच में उस ढेर पर खाना ढूंढने वाले कुत्तो और सुवरो को उसके हाथ में ली हुए लकड़ी से हकलते हुए उनसे खुद को बचा उसकी भूख का इलाज