उस सुबह भी सूरज आम दिनों-सा निकला था। चिड़ियों ने हर रोज की भाँति ही चहचहाते हुए अपने दिन की शुरुआत की थी। रोजाना की तरह ही लोग अपने-अपने घरों से तैयार होकर सड़कों पर आये थे। सब कुछ एक सामान्य दिन और सामान्य शुरुआत की तरह ही था। मगर किसे पता था कि तब तक एक अभूतपूर्व दुर्भाग्य सामान्य से दिखने वाले उस आम दिन को इतिहास के भीषण काले दिन में बदलने को निकल चुका है। अगर पहले से पता चल जाता तो क्या सारी मानवता मिल कर भी काल-चक्र की उस गति को ना मोड़ पाती ?