कमरा नम्बर-203

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आपको एक सच्ची घटना के बारे मैं बताने जा रहा हूँ जो की मेरे दोस्त कैशल किशोर के साथ घटी थी, जब वो अपने कुछ दोस्तों के साथ घूमने नैनीताल गया हुआ था। ये बात साल 2012 की है और महीना था नवंबर का। नवंबर में रात बहुत ही जल्दी हो जाया करती है क्योकि सर्दियों का मौसम शुरू हो जाता है। कौशल अपने दोस्तों के साथ नैनसी गेस्ट हाऊस में रुका था। उसे कमरा नंबर 203 मिला था। लेकिन उसे बिलकुल भी नहीं पता था की जो कमरा उसे मिला है उस कमरे में अप्राकृतिक गतिविधियां होती रहती हैं।