हरनाम सिंह दुकान की बगल में बैठे अखबार पढ़ रहे थे। उनका बड़ा लड़का सतनाम दुकान के अन्दर ग्राहकों को राशन दे रहा था। यह स्थिति उनकी दूसरा पल्ला वाली रात ड्यूटी में ही नहीं बन पाती थी, जब उन्हें शाम चार बजे से रात बारह बजे तक की शिफ्ट में काम पर जाना होता था। शेष दोनों पल्लों अर्थात् पहला पल्ला, सुबह आठ से शाम चार बजे और तीसरा पल्ला, रात बारह बजे से सुबह आठ बजे तक में वे बिना नागा शाम की चाय पी कर घर से टहलते हुए पाँच-सात मिनट में सतनाम की दुकान की राशन दुकान में जा बैठते। दुकान का नौकर उनकी कुर्सी निकाल कर अखबार दे जाता। शाम ढलने तक वे वहीं अखबार पढ़ते। फिर गुरुद्वारा जा कर मत्था टेकते, रहिरास का पाठ सुनते और रात होते-होते घर लौट आते।