सिगरेट और फाउन्टेन पेन “मेरा पारकर फिफ्टी वन का क़लम कहाँ गया।” “जाने मेरी बला ” “मैंने सुबह देखा कि तुम उस से किसी को ख़त लिख रही थीं अब इनकार कर रही हो” “मैंने ख़त लिखा था मगर अब मुझे क्या मालूम कि वो कहाँ ग़ारत होगया।” “यहां तो आए दिन कोई न कोई चीज़ ग़ारत होती ही रहती है मैंटल पीस पर आज से दस रोज़ हुए मैंने अपनी घड़ी रख्खी सिर्फ़ इस लिए कि मेरी कलाई पर चंद फुंसियां निकल आई थीं दूसरे दिन देखा वो ग़ायब थी।”