तीन बोरी जीवन

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"तीन बोरी जीवन" चलो आज एक कहानी सुनाता हूँ। थोड़ी सुनी थोड़ी अनसुनि थोड़ी देखी थोड़ी अनदेखी। आपकी भी है मेरी भी है यह कहानी हम सबकी भी हे । कुछ दिनो पहेले की बात है। थोड़ा घर पे काम होने के कारण बड़ोंदा से जूनागढ़ गया था।जीवन का दूसरा नाम है समय जो हम सब को दिखता तो है पर अपने निजी जीवन में किस तरह इस्तेमाल करना है उसका ज्ञान सिर्फ़ हमें अपने जीवन में घटित होने वाली घटना से ही पता चलता है। बड़ोंदा से सीधे जूनागढ़ की बस पकड़ी ओर आराम से अपनी सीट पर बेठे