चाँद किसी बदमाश बच्चे सा पेड़ की फुनगी पर जा टँगा था...गोल मटोल से चेहरे पर शरारती मुस्कान लिए हुए...जैसे अभी अभी लाद-फाँद कर कमरे में फेंक से दिए गए बंटी बाबू की हालत का पूरा मज़ा लेने, खिड़की से ताँक-झाँक करने के पूरे मूड में हो। बंटी बाबू यानि कि समीर बाबू...नए-नवेले दूल्हे मियाँ, जिन्हें बड़े इंतज़ार के बाद अब जाकर इजाज़त दी गई है अपनी प्यारी सी नई-नवेली दुल्हन के करीब आने की...। वैसे जब रिश्ते की भाभियाँ धकेलती-छेड़ती उसे कमरे की ओर ला रही तो दिखा तो ऐसे ही रहा था जैसे उसे कोई जल्दी हो ही न...।