सब्ज़ सैंडिल

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“आप से अब मेरा निबाह बहुत मुश्किल है मुझे तलाक़ दे दीजिए” “लाहौल वला कैसी बातें मुँह से निकाल रही हो तुम में सब से बड़ा ऐब एक यही है कि वक़तन फ़वक़तन तुम पर ऐसे दौरे पड़ते हैं कि होश-ओ-हवास खो देती हो” “आप तो बड़े होश-ओ-हवास के मालिक हैं चौबीस घंटे शराब के नशे में धुत रहते हैं” “मैं शराब ज़रूर पीता हूँ लेकिन तुम्हारी तरह बिन पिए मदहोश नहीं रहता। वाही तबाही नहीं बकता।” “गोया मैं वाही तबाही बक रही थी”