जलवे .. जुल्फ है या कोई घना कोहरा .. घटाए शायद दे रही है पेहेरा .. आखोमे छुपे है “मंजर”कई.सारे मस्तीके दिखते है हसीन नजारे . चेहेरेकी “रौनकका क्या कहना .. मुश्कील है .देखकर खुदको सांभालना.. खुदा भी देखो कैसे कैसे “जलवे “बनाता है .. देखने वालोको बस !!पागल कर देता है !! ------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------ दोस्ती दोस्ती हमने भी कि थी...दिल लगाकर, चाहा था निभायेंगे आखिरतक.., पर र्शायद वक्तकी मर्जी नही है...., चलो ठीक है...ये ही सही.. अगर याद ही नही आती उन्हे हमारी .. तो हम क्यों उन्हे अपनी जिंदगीमें शामिल करे..? अगर उन्हे फुरसत नही हमारे