मायामृग - 16

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उदय प्रकाश के बाद दिन–रात दोनों ही सूखे बादलों से आच्छादित रहने लगे, व्यर्थ हो गए थे शुभ्रा के लिए काफ़ी कमज़ोर भी हो गई थी, बीमारी का प्रभाव जाने में अभी समय लगने वाला था दीति बहुत दिनों तक हर रोज़ आवाजावी करती रही, बाद में शुभ्रा ने ही मना कर दिया कि बहुत हो गया था, अब उसे अपना घर भी तो देखना था आखिर कब तक वह बेटी को परेशान करती? अब यह अलग बात है कि वह अपने घर भी रहकर माँ के बारे में परेशान ही होती रहती बिखर गया था घर बिलकुल, जीवन के कोई चिन्ह ही नज़र नहीं आते थे