भीमाशंकर जी के दर्शन करके वे वापस लौट आए। शतायु के लिए यह यात्रा बहुत ही रोमांचक और सुखप्रद रही। वह अपनी परेशानी भूलकर एक अलग ही दुनिया में सैर कर रहा था। उसके लिए तो जैसे यह एक नयी दुनिया थी। हँसी खुशी से भरी एक चमकती दुनिया। उसे आश्चर्य हो रहा था की लोग इस तरह खुशी और आनंद से जीवन बसर कर सकते हैं। उसे बहुत खुशी हुई कि देर से ही सही वह जाग उठा।