सैलाब - 11

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फिर पुराने कुछ अखबार निकाल कर उनमें कुछ ढूंढने लगी। एक एक कर अखबार निकालती पढ़ती और कोने में रख देती पर एक भी ऐसा अखबार नहीं मिला कि पावनी के कुछ काम आ सके। हर अखबार में जॉब के कॉलम सब छाँटने लगी, बहुत सारी नौकरियाँ हैं, पर जब उम्र की सीमा पर नजर पड़ती तब मन उदास हो जाता है। सिर्फ फ्रेशर की माँग हैं। एक लंबी सी साँस छोड़ते हुए पावनी ने उन सारे अखबारों को सजाकर अपने स्थान पर रख दिया। समय पांच बज चुके हैं, कुछ देर बाद राम बाबू घर लौट आएंगे। उस से पहले घर ठीक करना जरूरी है। घर को साफ़ कर मुँह धोकर तैयार हो गयी पावनी, ताकि राम बाबू उसे देख कर जरा सा मुस्कुरा तो दे।