पावनी के पैर लड़खड़ा गये। जहाँ खड़ी थी वहीँ वैसे ही बैठ गयी जैसे उसके पैर की शक्ति किसीने छीन ली हो। उसके सिर पर जैसे पहाड़ गिर पड़ा हो। क्या.. क्या हुआ? मुझे पूरी बात बताओ। आप सब क्या कह रहे हैं मुझे समझ में नहीं आ रहा है। मैंने रात को सोने से पहले ही दीदी से बात करी वहाँ सब बिल्कुल ठीक है फिर तुम क्या कह रही हो? पावनी के हाथ पैर काँप रहे थे। उसकी जुबान लड़खड़ा रही थी। उस ने अपना फ़ोन उठाकर घर पर फोन लगाया। घंटी बजती रही पर किसीने फोन नहीं उठाया।