16 फरवरी, 2000, बुधवार, रात ग्यारह बजकर चालीस मिनट! मैं और शर्ली आमने-सामने बैठे थे। वह चार घंटे पहले घर आई थी। उसे चाय-स्नेक्स(नाथू से समोसा ले आई थी) खिलाने के बाद मैंने संक्षेप में उसे बताया था कि मेरे साथ क्या हुआ है। शर्ली को स्टेशन लेने जाने से पहले मैं सफदरजंग एन्कलेव में लेडी डॉक्टर आशा बिश्नोई के पास गई थी। मेरा शक सही निकला था!