आसपास से गुजरते हुए - 9

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बस चल पड़ी। हम दोनों के बीच कोई बात नहीं हुई। खोपोली के पहले मेरी आंख लग गई। बस झटके से रुकी। मेरी आंख खुल गई। घाट आ चुका था। खण्डाला के घाट पर सफर करना मुझे कभी पसंद नहीं था। गोल-गोल घूमती बस में मुझे चक्कर आ जाता था। जी मिचलाने लगता था। मैं हैंडबैग में चूरन की गोली ढूंढने लगी। ‘अभी तक तुम्हें यह दिक्कत है?’ अमरीश ने पूछा। मैंने ‘हां’ में सिर हिलाया।