दीप शिखा - 10 - Last Part

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गीता के चेहरे को तीनों घूर कर देख रहे थे रामेशन तो सिर्फ अपने प्रश्न के उत्तर के लिए उसको देख रहा था लेकिन पेरुंदेवी, आने वाले शब्दों में जो तूफान होगा उसे सोच पहले से ही डरी हुई थी अत: उसका गला सूखने लगा और वह दयनीय दृष्टि से उसे देख रही थी सारनाथन जी उत्सुकता से बेचैन थे एक क्षण में ही सारी पुरानी यादें मस्तिष्क में घूम गईं, उनकी रोमावली खड़ी हो गई उन तीनों की भावनाएँ, इच्छाएँ और मन के अंदर की बात सब एक साथ बाहर आने को है तीनों की दृष्टि उसके ऊपर ही है ये जब गीता ने महसूस किया तो थोड़ी देर पहले उसमें जो हिम्मत और शांति उसमें थी वह गायब हो गई वह बेचैन हो उठी, मैं जो बोलने वाली हूँ उसे ये लोग किस तरह लेगें ? इस डर ने उसे घेर लिया