हिलमिल मुहल्ले को लोग अजायब घर कहते हैं। इसलिए कि यहाँ जितने घर हैं, उतनी तरह के लोग हैं। अलग पहनावे, अलग खान-पान, अलग संस्कार, अलग बोली-बानी और अलग धर्म-वर्ण के। सचमुच, यह मुहल्ला और मुहल्लों से बिल्कुल अलग है। यहाँ के लोगों में प्रेम और अपनत्व का रंग बहुत गाढ़ा है। वे एक-दूसरे की ख़ैर-ख़बर रखते हैं ख़ुशियों में शामिल होते हैं दुख-तकलीफ में साथ देते हैं साथ उठते-बैठते हैं हँसी-मज़ाक़ करते हैं एक-दूसरे का हाथ बँटाते हैं।