शेर आया शेर आया दौड़ना

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ऊंचे टीले पर गडरिए का लड़का खड़ा, दूर घने जंगलों की तरफ़ मुँह किए चिल्ला रहा था। “शेर आया शेर आया दौड़ना।” बहुत देर तक वो अपना गला फाड़ता रहा। उस की जवाँ-बुलंद आवाज़ बहुत देर तक फ़िज़ाओं में गूंजती रही। जब चिल्ला चिल्ला कर उस का हलक़ सूख गया तो बस्ती से दो तीन बुढ्ढे लाठियां टेकते हुए आए और गडरिए के लड़के को कान से पकड़ कर ले गए।