शान्ति

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ओफ्फो शान्ति तुम कितनी दुष्ट हो ,मैं कितने वर्षो से सिर्फ ये चाह रहा हूँ की तुम कुछ पल, दिन मेरे साथ गुजारो, पर नहीं तुम तो मुझसे कोसो दूर भागती हो जैसे मैं कोई जिन हु और तुम्हे निगल जाऊँगा। बड़ी आयी तुम अपने आप को बड़ा समझती हो, ये मत बोलो अब की कोई दूसरा भी तुम्हारा मित्र नहीं, कहीं और भी तुम्हारा मन नहीं लगता. देखा है मैंने तुम्हे नलकू के पास , और कभी कभी बिट्टी के साथ , और उस बूढ़ी अम्मा की साथ तो बहुत गपियाती हो. मेरे लिये ही टाइम नहीं तुम्हे, इडियट