मन्नू की वह एक रात - 21

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‘अच्छा जब तुमने बच्चे को गोद ले लिया तो उसके बाद चीनू से किस तरह पेश आई। जबकि तुम्हारे कहे मुताबिक यदि वह जी-जान से न लगता तो तुम्हें बच्चा गोद मिल ही नहीं सकता था।’ ‘हां बिब्बो यह बात एकदम सच है। जिस तरह से तरह-तरह की अड़चनें आईं उससे यह क्या मैं भी खुद त्रस्त हो गई थी। हार मान बैठी थी। इन्होंने तो एक तरह से मुंह ही मोड़ लिया था। मगर वह न सिर्फ़ बराबर लगा रहा बल्कि हमें उत्साहित भी करता रहा। यह उसके प्रयास से ही संभव बन पड़ा।’