मन्नू की वह एक रात - 12

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मैं वास्तव में उसके कहने से पहले ही चुप हो जाने का निर्णय कर चुकी थी। क्यों कि मेरे दिमाग में यह बात थी कि इन्हें अभी ऑफ़िस जाना है, फिर शाम को दो हफ़्तों के लिए बंबई। इसलिए यह वक़्त ऐसी बातों के लिए उचित नहीं है। मैंने यह सब करके गलत किया। यह बात दिमाग में आते ही मैं एकदम चुप हो गई। यह इसके बाद भी कुछ देर बड़बड़ाते रहे। फिर चले गए।