उसका विश्वास कैसे टूट सकता है वह तो अडिग विश्वास करती है ! खुद से भी ज्यादा उन पर भरोसा था और रहेगा भी। जरूर कोई मजबूरी है रवि की, अन्यथा एकदम से उनका व्यवहार बदलना उसकी समझ से परे था। मंदिर बिल्कुल खाली था कोई भी जन आसपास नजर नहीं आ रहे थे। राशि ने बेंच के हत्थे पर अपना सिर रख लिया। ऐसा लग रहा था शरीर में बिल्कुल जान ही नहीं हैं, खून की एक एक बूंद तक किसी ने निचोड़ दी हो । रवि के ख्याल मन को उद्वेलित कर रहे थे। वे खूबसूरत रोमांटिक और प्यार के अनमोल पल उसकी नजरों में किसी फिल्म की कहानी की तरह घूम रहे थे।