(रात में बेटी के फोन की आवाज़ से जग कर वे, अपना पुराना जीवन याद करने लगती हैं. उनकी चार बेटियों और दो बेटों से घर गुलज़ार रहता. पति गाँव के स्कूल में शिक्षक थे. बड़ी दो बेटियों की शादी हो गयी थी. बड़ा बेटा इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ रहा था और छोटा बेटा मेडिकल में. ससुर जी की छत्र छाया भी कैंसर जैसी बीमारी ने छीन ली. पीटीआई ने उनके श्राद्ध में फिर खेत गिरवी रखकर जम कर पैसा बहाया)