हिमाद्रि(19)उमेश ध्यानमग्न बैठा था। डॉ निरंजन उसके पास आकर बोले। अब आपका यह बंगला प्रेत से मुक्त हो गया है। अब किसी तरह के डर की ज़रूरत नहीं। हिमाद्रि अब प्रेत लोक चला गया है। दुर्गा बुआ पास ही खड़ी थीं। वह बोलीं। हमारी इच्छा थी कि घर में एक शुद्धि हवन हो जाता। मन को तसल्ली मिल जाती। जैसा आप चाहें। वैसे मेरे हिसाब से अब किसी तरह की चिंता की आवश्यक्ता नहीं है। बुआ ने रज़ामंदी के लिए उमेश की ओर देखा। उमेश ने कहा। बुआ आप अपनी तसल्ली के लिए जो कराना चाहती