घुमक्कड़ी बंजारा मन की - 7

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जब घर से चले थे तो दिल्ली की गर्मी से निजात पाने की उम्मीद थी और दिल में था कुछ गुनगुनाता सा मीठा मीठा संगीत मंद बहती हवा का एहसास और.. आँखो में सपने थे.. पेडो से ढके पहाड़ की हरियाली और भी बहुत कुछ... ख़ुद बा ख़ुद दिल किसी गीत की रचना करने लगा था कल- कल बहती गंगा यही संदेश देती है