दस दरवाज़े - 31 - लास्ट प्रकरण

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हम पूरी धूमधाम से बारात लेकर छोटे-से शहर लूटन में ज्ञान सिंह के घर प्रदीप को ब्याहने पहुँचते हैं। प्रकाश के सभी रिश्तेदार आते हैं। बारात में हमारे भी कुछ मित्र और रिश्तेदार जाते हैं। विवाह अच्छा हो जाता है। सभी खुश है, ख़ास तौर पर बाराती। दूसरी तरफ ज्ञान सिंह भी खूब सेवा करता है। मेरा खर्च तो काफ़ी हो जाता है, पर मैं इस बात से ही बहुत खुश हूँ कि सब कुछ ठीक ठाक पूरा हो गया है। मैं फोन करके प्रकाश और बंसी को बधाई देता हूँ। मुझे लगता है कि प्रदीप किसी बात पर खुश नहीं, पर वह कह कुछ नहीं रहा।