मैं पिता से मिलने अस्पताल जाता हूँ। उनकी सेहत में सुधार हो रहा है। अब मीता अस्पताल नहीं जाती और वहाँ रुकने वाले लड़के भी पता नहीं किधर उड़न-छू हो जाते हैं। गांव के एक निठल्ले-से लड़के को मैं अस्पताल में रहने के लिए पैसे देता हूँ। दसेक दिन बाद पिता अस्पताल से घर आ जाते हैं, पर अभी वह चलने-फिरने योग्य नहीं हैं। मीता उनकी सेवा में व्यस्त हो जाती है। मैं देखता हूँ कि वह काफ़ी काम कर रही है, पर साथ ही साथ कुछ दिखावा भी करने लगती है।