दस दरवाज़े - 26

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मेरा फोन घनघनाने लगता है। इंडिया का नंबर है। मैं चिंतित हो जाता हूँ। मन ही मन दुआ करता हूँ कि पिता ठीक हों। मेरा चचेरा भाई इकबाल उदास आवाज़ में बोलता है - “जल्दी आ जा भाई, ताया सीरियस है।” “क्या बात हो गई?” “कोई दौरा-सा पड़ गया है और आवाज़ बंद हो गई है। हम अस्पताल लेकर आए हुए हैं। डॉक्टर ज्यादा यकीन नहीं दिला रहा।”