ऊषा के जाने के बाद घर जैसे खाली खाली सा हो गया हो। इतना खाली तो यह पहली पत्नी जगीरो के जाने के बाद भी नहीं हुआ था। ऊषा के गीत अचानक मेरे कानों मे गूँजने लगते हैं। उसका बनाया खाना मुझे याद आने लगता है। मेरा दिल होता है कि फोन करके उसका पता तो करूँ, पर फिर सोचता हूँ कि उसको अपनी ससुराल में टिकी रहने दूँ। तीसरे दिन उसका फोन आ जाता है। वह कहती है -