दस दरवाज़े - 17

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एक दिन करमजीत का फोन आता है - “कैसे भाई, लगाए जाता है?” “और अब क्या करूँ।” “कोई शिकायत तो नहीं?” “शिकायत तो कोई नहीं, पर कब तक रहेगी ये?” “जब कोई शिकायत ही नहीं तो ये सवाल क्यों पूछ रहा है?” “फिर भी, अधिक दिन तो मैं नहीं रख सकता।”