अदृश्य हमसफ़र - 29

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ममता के मन में शांति थी कि चलो कुछ ज्यादा हंगामा नहीं हुआ था। बड़े भैया के सामने बात हुई तो चिल्लपों कुछ ज्यादा नही मची थी। व्यापार के बहाने ही सही उसे जाने की इजाजत तो मिली। दोनो भाभियाँ ममता के लिए नाश्ता बनाने की कहकर कमरे से चली गयी। उसने देविका को भी बाहर चलने का इशारा किया। देविका तो तुरन्त ही कमरे से बाहर निकल गयी लेकिन ममता ने काकी के कंधे पर सिर रख दिया। काकी ममता के सिर पर हाथ फिराने लगी।