शुरू से शुरू करते हैं

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शुरू से शुरू करतें हैं द्वारा रीता गुप्ता "अनु तुमने उससे बात की?"आज मम्मी ने फिर अनुश्री से पूछा। पिछले कुछ दिनों से ये नया सिलसिला शुरू हुआ था। मम्मी उसे याद दिलाती कि अनुश्री को आकर्ष से पूछना चाहिए। बदले में अनु फटी फटी दृगों से मम्मी को तकती रह जाती, फिर उसकी दृष्टि स्वत: ही शून्य में विलीन हो जाती और भावनाशून्य हो मृतप्राय बोझिल देह देर तक आत्मा पर हो रहें दंश को झेलती रहती। आत्मा तो उसकी जाने कब से जख्मी लहुलुहान ही थी। पहले रो कर, आंसू बहा कर तपती मरुभूमि से मन को