ज़िन्दगी में अचानक ही चलते-चलते किसी अप्रत्याशित से मोड़ पर हम उनसे मिल जाते हैं, जिनसे मिलने की सपने में भी उम्मीद नहीं होती...। कुछ लोग हमारे जीवन के पुराने अध्यायों में कुछ इस तरह गुम हो चुके होते हैं, कि अगर कभी उन भूले-बिसरे सफ़ों को पलटो भी, तो भी उन यादों की लिखावट धुँधली होने के कारण पढ़ना लगभग नामुमकिन हो जाता है...। पर कौन जानता है कि उन धुँधली-सी यादों से निकल कर जब कोई पात्र आपके सामने आ खड़ा होता है तो उसका चेहरा-मोहरा ही नहीं, बल्कि उससे जुड़ी एक-एक बात किसी बिल्लौरी शीशे सी चमक उठती है...।